अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी दिवस के अवसर पर आज नवोन्मेष कार्यालय पर ‘विचार एवं काव्य गोष्ठी’ का आयोजन किया गया. गोष्ठी के दौरान उपस्थित लोगों ने हिंदी दिवस की महत्ता पर प्रकाश डाला एवं अपनी साहित्यिक रचनाओं से हिंदी भाषा के प्रति सम्मान भी प्रकट किया. वरिष्ठ रचनाकार डा. जावेद कमाल ने नवोन्मेष के इस प्रयास की प्रशंसा करते हुए हिंदी दिवस पर अपनी रचना “ बरसों पहले हिन्दुस्तान में दो बहनों ने जन्म लिया, नाम एक का हिंदी था और एक को उर्दू नाम दिया” से लोगों को हिंदी उर्दू एकता का महत्व बताया. युवा रचनाकार नियाज़ कपिल्वस्तुवी ने हिंदी दिवस पर अपनी साहित्यिक रचना के माध्यम से प्रकाश डालते हुए कहा कि “ ऐ हिन्द देश वालों हिंदी दिवस मुबारक, हिंदी हैं हम वतन हैं हिन्दोस्तां हमारा, होता है दुःख हमें जब दीखता है यह नज़ारा, हिंदी जो बोलता है लगता है वो बेचारा”. युवा रचनाकार शादाब शब्बीरी ने काव्य पाठ करते हुए कहा कि “मैं हिंदी व उर्दू का परस्तार हूँ शादाब, इंग्लिश का मुझे ज्ञान नहीं है तो है. डा. फजलुर्रहमान रहमान ने अपने शेर “चलो बसेरा करें फूंस के घरौंदों में, कि पत्थरों के मकानों में बेहिसी है बहुत” से लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया. डा.जावेद सरवर ने प्रेम की रचना सुनाते हुए कहा कि “तरसती हैं निगाहें तुझे ढूढ़ती है, तजस्सुस में तेरी हूँ ओ बेखबर आ”.
कार्यक्रम का संचालन डा.जावेद कमाल एवं अध्यक्षता आर.के.सिंह द्वारा की गई. नवोन्मेष अध्यक्ष विजित सिंह ने कहा कि हिंदी दिवस मनाना हम सभी के लिए गौरव का विषय है और नवोन्मेष परिवार हिंदी काव्य एवं साहित्य के लिए पूर्णतः समर्पित है. उन्होंने कार्यक्रम के अंत में सभी का आभार प्रकट किया. कार्यक्रम के दौरान नवोन्मेष मीडिया प्रभारी धीरज गुप्ता, समन्वयक मुनीश ज्ञानी, अफरोज, नवनीत आदि उपस्थित रहे.