समुदाय को क्षय रोग की जानकारी देने हेतु नवोन्मेष ने अभियान शुरू किया है जिसका नाम है “चाय के साथ, टी.बी. की बात”. इस अभियान के अंतर्गत चौराहों पर स्थित चाय की दुकानों पर इकठ्ठा लोगों को टी.बी. (क्षय रोग) की जानकारी प्रदान की जा रही है. इस अभियान के माध्यम से नवोन्मेष टीम बड़ी संख्या में लोगों तक टी.बी. के लक्षण एवं उसके उपचार सम्बन्धी जानकारी पहुँचा रही है.
कार्यक्रम के दौरान लोगों को बताया जा रहा है कि अगर किसी को दो सप्ताह या अधिक समय तक लगातार खांसी आ रही है, शाम के समय शरीर का तापमान बढ़ जाता है, खांसी के साथ रक्त रंजित बलगम आता है, वजन में कमी आती है या भूख नहीं लगती है तो वो टी.बी. का संभावित मरीज हो सकता है, ऐसी स्तिथि में मरीज के बलगम की जांच बिना किसी विलम्ब के नजदीक के मान्यता प्राप्त जांच केन्द्र (डी.एम.सी) पर करानी चाहिए. यह भी बताया जा रहा है कि व्यस्क में सबसे घातक टी.बी. घनात्मक बलगम वाली फेफड़े की टी.बी. होती है. यह रोग थूक कणों (ड्रॉपलेट) द्वारा ट्रान्सफर होता है. फेफड़े की टी.बी. की जांच सुनिश्चित करने की विधि बलगम की जांच है और टी.बी. पाए जाने पर मरीज को प्रत्यक्ष अवलोकन विधि द्वारा अल्पकालीन अवषधियों का सेवन करना चाहिए.
नवोन्मेष अध्यक्ष विजित सिंह ने बताया कि हमारे देश में क्षय रोग के लगभग एक करोड़ चालीस लाख मरीज़ है, जिनमें 35 लाख बलगम घनात्मक है. एक बलगम घनात्मक मरीज प्रति वर्ष 10-15 नए व्यक्तियों को संक्रमित करता है. हर एक मिनट में एक व्यक्ति की मौत टी.बी. के कारण होती है. उन्होंने बताया की शीघ्र ही लोगों को नुक्कड़-नाटक के माध्यम से भी इस बिमारी के बारे में जागरूक किया जाएगा.
समुदाय के साथ बैठक करने एवं ‘चाय के साथ, टी.बी. की बात’ मुहिम को सफल बनाने में नवोन्मेष मीडिया प्रभारी धीरज गुप्ता, मुनीश ज्ञानी, नवनीत सावरियां, सुनील कुमार, राजेन्द्र प्रसाद एवं राज कुमार का विशेष योगदान रहा है.