जनपद के नवोदित एवं स्थापित रचनाकारों को साहित्यिक मंच पर एक साथ लाने के उद्देश्य से जिले की साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था नवोन्मेष द्वारा “अभिव्यक्ति”- कवि सम्मलेन एवं मुशायरा कार्यक्रम का आयोजन दिनांक 20 जून 2014 को नवोन्मेष कार्यालय परिसर में किया गया. कार्यक्रम का शुभारम्भ थानाध्यक्ष सिद्धार्थनगर सुधीर सिंह एवं प्रो.सुरेन्द्र मिश्र ने द्वीप प्रज्ज्वलन कर किया. अपने संबोधन के दौरान प्रो सुरेन्द्र मिश्र ने कहा कि नवोन्मेष का यह प्रयास अभिनव है और इस अभिव्यक्ति कार्यक्रम के आयोजन में उपस्थित जनसमूह ने एक बात और स्पस्ट कर दी जनपद के रचनाकारों की कलम में कितनी ताकत है. कार्यक्रम में उपस्थित थानाध्यक्ष सिद्धार्थनगर सुधीर सिंह ने कहा कि नवोन्मेष के युवा संस्कृति के संरक्षण में निरंतर लगे हुए है और अभिव्यक्ति कार्यक्रम के आयोजन से जनपद को एक अलग साहित्यिक पहचान मिलेगी, उन्होंने नवोन्मेष अध्यक्ष विजित सिंह इस प्रयास कि खुले कंठ से प्रसंशा की. अभिव्यक्ति कार्यक्रम का सञ्चालन कर रहे नवोन्मेष अध्यक्ष विजित सिंह ने रचनाकारों को मंच पर एक-एक कर उन्ही की पंक्तियों के माध्यम से आमंत्रित कर कार्यक्रम को रोचक बना दिया. रचनाकारों को मंच पर आमंत्रित करने के उपरांत कवि सम्मलेन एवं मुशायरे का सञ्चालन युवा रचनाकार नियाज़ कपिल्वस्तुवी द्वारा किया गया. युवा रचनाकार सलमान आमिर अपनी पंक्ति “दुनिया में आने वाले हर शक्श को जाना है, वो काश समझ जाए जो लड़ते, मरते है” से लोगो को सोचने पे मजबूर कर दिया तो वही अपनी रचना “तेरी हर हर अदा में जादू है जो पागल न हो साधू है” से युवाओं को गुदगुदा दिया. वरिष्ठ रचनाकार नजीर मालिक ने अपनी रचना “कभी सर काट देता है, कभी सेर टेक देता है, खिलाडी है वो मौके कि नजाकत देख लेता है, सियासत कि नज़र में दोस्ती जैसे कोई बच्चा, ज़रा सा खेलकर सारे खिलौने तोड़ देता है” से राज नेताओं पे कटाक्ष किया तो वही अपनी रचना “ज़िन्दगी को रंग देकर मैं चला जाऊंगा और लोग मुझको ढूढ़ते रह जायेंगे अखबार में” से कार्यक्रम को उचाई प्रदान की. युवा रचनाकार नियाज़ कपिल्वस्तुवी ने महंगाई पे अपनी कविता प्रस्तुत करते हुए कहा कि “सर पे चढ़ा प्याज है, आलू उछाल पर, खतरे की घंटी बज रही है रोटी दाल पर, रोना नहीं है फिर भी हमें अपने हाल पर, सरकार देगी जल्द ही सोना निकाल कर”. डा.जावेद कमाल ने युवाओं का मनोबल बढाते हुए कहा “मुश्किलों में कभी सर अपना न नीचा रखना, आसमां छूने की हसरत को भी जिंदा रखना, डर के मायूसी में जीना भी कोई जीना है, ऊंचा उड़ना है तो फिर हौसला भी ऊंचा रखना” . वरिष्ठ शायर मंज़र अब्बास रिज़वी ने व्यवस्था पर कुटाराघाट करते हुए कहा कि “जुल्म जब सब्र की सरहद से गुज़र जाता है, रास्ता सिर्फ बगावत का नज़र आता है” तो वही युवाओं को गुदगुदाते हुए अपनी शेर “था शौक मुझे तैराकी का मैं एक कुशल तैराक बना, पर व्यर्थ हुआ सारा अनुभव मैं दो नयनों में डूब गया” प्रस्तुत किया. युवा रचनाकार शादाब शब्बीरी ने अपनी रचना “उठ के शादाब मैं ताजीम करूं, नामुमकिन, वो अपने इलाके का ज़मीदार अगर है तो है” से युवाओं को जोश से भर दिया. अभिव्यक्ति के दौरान डा.फजलुर्रहमान, वारिस खान आदि ने काव्य पाठ किया. कार्यक्रम में सिविल सिद्धार्थ बार एसोसिएशन के महा मंत्री अंजनी कुमार दुबे, विद्या अकादमी के प्रबंधक बृजेश पाण्डेय, राणा प्रताप सिंह, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक राजेश शर्मा, जिला लेखा प्रबंधक राजेश मिश्र, जिला समुदाय प्रबंधक मान बहादुर सिंह, नवोन्मेष मीडिया प्रभारी धीरज गुप्ता, मुनीश ज्ञानी, सुनील कुमार, राजेन्द्र प्रसाद, शेखर शुक्ला, राजकुमार, उषा उपाध्याय, सुशीला त्रिपाठी, उषा सिंह समेत सैकड़ों लोग उपस्थित रहे. कार्यक्रम के अंत में नवोन्मेष अध्यक्ष विजित सिंह ने सबका आभार व्यक्त किया.