मुंशी प्रेमचंद जयंती के अवसर पर नवोन्मेष द्वारा गोष्ठी का आयोजन नवोन्मेष कार्यालय पर किया गया. गोष्ठी के माध्यम से उनकी कहानियां एवं उनके व्यक्तित्व को याद किया गया. गोष्ठी का शुभारम्भ नवोन्मेष अध्यक्ष विजित सिंह, वरिष्ठ रंगकर्मी व शायर मंज़र अब्बास रिज़वी एवं नियाज़ कपिल्वस्तुवी ने मुंशी प्रेमचंद की प्रतिमा को माल्यार्पित कर किया. स्थानीय रचनाकारों की उपस्थिति में आयोजित इस गोष्ठी में मुंशी प्रेमचंद को समर्पित करते हुए तमाम रचनाएं पेश की गयी. कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ रचनाकार नियाज़ कपिल्वस्तुवी ने बताया कि जिस समय सभी कथाकार राजाओं की कहानियां लिखते थे ऐसे समय में मुंशी प्रेमचंद ने रंक की कहानी लिखकर समाज की वास्तविक स्थिति को अपनी कहानियों के माध्यम से लोगो के सामने रखा. उन्होंने यह भी बताया कि मुंशी प्रेमचंद ने कफ़न, ईदगाह,पूस की रात, सवा सेर गेहू, सद्गति, बूढी काकी आदि कहानियों के माध्यम से समाज के वंचित, शोषित एवं वृद्ध लोगो की परिस्थितियां एवं मनोदशा को दर्शाया है. गोष्ठी को संबोधित करते हुए वरिष्ठ शायर मंज़र अब्बास रिज़वी ने कहा की मुंशी जी कहानियों की भाषा एवं परिस्थितियों का विवरण इतना सरल है कि हर उम्र एवं वर्ग के लोगो को आसानी से समझ आ जाती है. नवोन्मेष अध्यक्ष विजित सिंह ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि बनारस के लमही में जन्मे मुंशी प्रेमचंद ने शुरुआती दौर में अपनी पहचान छुपाकर अंग्रेजों के खिलाफ उर्दू में ‘नवाब राय’ एवं हिंदी में ‘धनपत राय’ नाम से कहानियां लिखी जिसमें समाज के गरीब,शोषित एवं वंचित वर्ग की असली परिस्थितियों को सामने लाने का प्रयत्न किया. युवा रचनाकार जुनैद बस्तवी एवं हमदम शिवानी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से मुंशी प्रेमचंद को याद करते हुए श्रधांजलि अर्पित किया. गोष्ठी को मीडिया प्रभारी धीरज गुप्ता, कार्यक्रम समन्वयक मानस पाण्डेय, सिद्धार्थ गौतम, योगेश उपाध्याय, अफरोज, संदीप आदि ने भी संबोधित किया.