जनपद सिद्धार्थनगर के कारागार में वर्षों से कैद आजीवन कारावास के कैदियों के विचारों में सकारात्मकता लाने एवं उनके ठहरे हुए जीवन को पुनः गति प्रदान करने के उद्देश्य से नवोन्मेष द्वारा जिला कारागार सिद्धार्थनगर में द्विमासीय अभिनय एवं व्यक्तित्य विकास कार्यशाला का आयोजन किया गया. तत्कालीन जेलर श्री डी.सी.मिश्र से विशेष अनुमति प्राप्ति के उपरांत कार्यशाला का शुभारम्भ किया गया. इस कार्यशाला में एक तरफ रंगमंच के माध्यम से कैदियों से भावनात्मक रूप से जुड़ने का प्रयास किया गया तो वही दूसरी तरफ उनका संवेदीकरण कर विचारों में सकारात्मक लाने का प्रयत्न भी किया गया. कार्यशाला हेतु कुल बारह कैदियों का चयन किया गया जिन्हें प्रतिदिन ४-५ घंटे प्रशिक्षण प्रदान किया जाता रहा. कार्यशाला के दौरान कैदियों को नाटक “अपराधी नहीं हूँ मैं” के मंचन हेतु तैयार किया गया जिसके लिए उन्हें सर्वप्रथम अभिनय एवं मंच की बारीकियों से परिचित कराया गया.
दो महीने के निरंतर प्रयत्न के उपरांत बारह कैदियों की ये टोली अपनी अभिनय प्रतिभा का लोहा मनवाने को तैयार थी. दिनांक ०४ मार्च २०१३ को कारागार परिसर में नवोन्मेष द्वारा ऐसा माहौल पैदा किया गया मनो ये कारागार नहीं अपितु कोई सांस्कृतिक स्थली है. इसी दिन कैदियों के मंचन हेतु सारे इन्तेजाम किये गए जिसमे कारागार प्रशासन एवं नगर पालिका अध्यक्ष की सराहनीय भूमिका रही. “अपराधी नहीं हूँ मैं” का मंचन लगभग एक घंटे चालीस मिनट चला जिसके दौरान पूरा कारागार परिसर तालियों की गडगडाहट के गूंजता रहा. नाटक का निर्देशन एवं संगीत नवोन्मेष अध्यक्ष विजित सिंह द्वारा किया गया एवं सहायक निर्देशन की भूमिका में धीरज गुप्ता एवं अनुराग त्रिपाठी की भूमिका उल्लेखनीय रही. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अथिति जेलर श्री डी.सी. मिश्र, एवं विशिष्ठ अथिति के रूप में श्री राणा प्रताप सिंह उपस्थित रहे.