जनपद के नवोदित एवं स्थापित रचनाकारों को साहित्यिक मंच पर एक साथ लाने के उद्देश्य से जिले की साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था नवोन्मेष द्वारा “अभिव्यक्ति” कार्यक्रम का आयोजन दिनांक 25 अक्टूबर को प्रस्तावित नगर पालिका परिसर में किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन नगर पालिका अध्यक्ष मो. जमील सिद्दीकी, अपर पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार मिश्र एवं क्षेत्राधिकारी बाँसी डी.पी.मिश्र ने द्वीप प्रज्ज्वलन कर किया. अपने संबोधन के दौरान नगर पालिका अध्यक्ष ने कहा कि नवोन्मेष का यह प्रयास अभिनव है और इस अभिव्यक्ति कार्यक्रम के आयोजन में उपस्थित जनसमूह ने एक बात और स्पस्ट कर दी जनपद के रचनाकारों की कलम में कितनी ताकत है. कार्यक्रम में उपस्थित सांसद जगदम्बिका पाल ने कहा कि नवोन्मेष के युवा संस्कृति के संरक्षण में निरंतर लगे हुए है और अभिव्यक्ति कार्यक्रम के आयोजन से जनपद को एक अलग साहित्यिक पहचान मिलेगी, उन्होंने नवोन्मेष अध्यक्ष विजित सिंह इस प्रयास कि खुले कंठ से प्रसंशा की. अभिव्यक्ति कार्यक्रम का सञ्चालन कर रहे नवोन्मेष अध्यक्ष विजित सिंह ने रचनाकारों को मंच पर एक-एक कर उन्ही की पंक्तियों के माध्यम से आमंत्रित कर कार्यक्रम को रोचक बना दिया. रचनाकारों को मंच पर आमंत्रित करने के उपरांत कवि सम्मलेन एवं मुशायरे का सञ्चालन वरिष्ठ रचनाकार नजीर मालिक द्वारा किया गया वही कार्यक्रम की अध्यक्षता चिकित्सक एवं वरिष्ठ कवि सच्चिदानन्द मिश्र द्वारा किया गया. “अभिव्यक्ति” के दौरान काव्य पाठ करते हुए अपर पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार वर्मा ने कहा कि “न रोको राहे हमारी, न पकड़ो बाहें हमारी, बढ़ने दो, उड़ने दो, भटकने दो, सँभालने दो हमें, जीने दो हमें अपनी तरह”. युवा रचनाकार सलमान आमिर अपनी पंक्ति “दुनिया में आने वाले हर शक्श को जाना है, वो काश समझ जाए जो लड़ते, मरते है” से लोगो को सोचने पे मजबूर कर दिया. डा. ए.एस.सिद्दीकी ने शायरों कि हौसलाअफजाई करते हुए कहा “जहाँ देखिये एक भीड़ है, जहा जाइये एक शोर है, कही दाग-दाग है हसरते, चीखते शहर सिसकती गलियाँ, चीथड़े, खुदा कहा है कि सुनता नहीं बेकस कि दुआ”. क्षेत्राधिकारी डी.पी. मिश्र ने एक तरफ अपनी कविता “बड़ी ज़िन्दगी के बड़े है झमेले, बहुत याद आते है बचपन के मेले” से बचपन की यात्रा कराई तो वही अपनी पंक्ति “जब से पुलिस में आया कातिल मैं बन गया हूँ, करता हूँ रोज़ क़त्ल मै खुद अपनी नींद का” से लोगो को पुलिस की कर्तव्यनिष्ठा से वाकिफ कराया. पत्रकार अनिल यादव के भोजपुरी गीत “कहब तो लाग जाई धक्क से” ने लोगो को ताली बजाने पे मजबूर कर दिया. वरिष्ठ रचनाकार नजीर मालिक ने अपनी रचना “कभी सर काट देता है, कभी सेर टेक देता है, खिलाडी है वो मौके कि नजाकत देख लेता है, सियासत कि नज़र में दोस्ती जैसे कोई बच्चा, ज़रा सा खेलकर सारे खिलौने तोड़ डेटा है” से राज नेताओं पे कटाक्ष किया. युवा रचनाकार नियाज़ कपिल्वस्तुवी ने महंगाई पे अपनी कविता प्रस्तुत करते हुए कहा कि “सर पे चढ़ा प्याज है, आलू उछाल पर, खतरे की घंटी बज रही है रोटी दाल पर, रोना नहीं है फिर भी हमें अपने हाल पर, सरकार देगी जल्द ही सोना निकाल कर”. डा.जावेद कमाल ने युवाओं का मनोबल बढाते हुए कहा “मुश्किलों में कभी सर अपना न नीचा रखना, आसमां छूने की हसरत को भी जिंदा रखना, डर के मायूसी में जीना भी कोई जीना है, ऊंचा उड़ना है तो फिर हौसला भी ऊंचा रखना” . डा. सचिदानन्द मिश्र ने अपनी रचनाओं के माध्यम जीवन के विभिन्न चरणों का बखान कर लोगो को भावुक कर दिया. रंगकर्मी एवं शायर मंज़र अब्बास रिज़वी ने व्यवस्था पर कुटाराघाट करते हुए कहा कि “जुल्म जब सब्र की सरहद से गुज़र जाता है, रास्ता सिर्फ बगावत का नज़र आता है”. अभिव्यक्ति के दौरान डा.फजलुर्रहमान, डा.विनय कान्त मिश्र, मुनीश ज्ञानी, एच.डी.सहर, विजय कृष्ण नारायण सिंह, वारिस खान, अनिरुद्ध मौर्या, मरेंद्र मिश्र, हमदम शिवानी, आदि ने काव्य पाठ किया. कार्यक्रम में आर.सी.शर्मा, राणा प्रताप सिंह, अर्जुन सिंह, सिविल सिद्धार्थ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सैय्यद सरवर अनवर एवं महामंत्री अंजनी कुमार दूबे, दीपेन्द्र त्रिपाठी, राधे रमण त्रिपाठी, डा.एन.पी उपाध्याय समेत सैकड़ों लोग उपस्थित रहे. कार्यक्रम के अंत में नवोन्मेष अध्यक्ष विजित सिंह ने सबका आभार व्यक्त किया.