Wednesday, February 5, 2025
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वरिष्ठ कवियित्री को श्रधांजलि अर्पित करने हेतु आयोजित काव्य गोष्ठी

मशहूर कवयित्री स्व.मधुरिमा सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु नवोन्मेष द्वारा कल श्रधांजलि सभा एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन नवोन्मेष कार्यालय पर किया गया. स्व.मधुरिमा सिंह की स्मृति को साझा करते हुए वरिष्ठ शायर नजीर मालिक ने बताया की जनपद में प्रति वर्ष मनाये जाने वाले कपिलवस्तु महोत्सव की सोच स्व.मधुरिमा सिंह जी की ही थी. उन्होंने कपिलवस्तु महोत्सव की नींव रखी थी, उनकी मृत्यु साहित्य जगत के लिए घहरा आघात है. श्रधांजलि सभा के उपरांत उनकी स्मृति में ‘नवोन्मेष काव्य गोष्ठी’ का आयोजन किया गया जिसमें जनपद मुख्यालय के समस्त युवा एवं वरिष्ठ रचनाकार उपस्थित हुए. काव्य गोष्ठी का सञ्चालन युवा रचनाकार नियाज़ कपिल्वस्तुवी द्वारा किया गया एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता राकेश ऋषभ द्वारा की गयी. “नवोन्मेष काव्य गोष्ठी” के दौरान काव्य पाठ करते हुए युवा रचनाकार शादाब शब्बीरी ने कहा कि “सोचता हूँ कि करूं कैसे यकीं कानों पर, सुन रहा हूँ कि मुझे याद किया है तूने”.शायर डा. ऍफ़ रहमान ने अपने शेर “ज़िन्दगी सोज़ है या साज़ है जाने क्या है, एक मुअम्मा है, निहाराज़ है, जाने क्या है ” से लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया. युवा गीतकार मुनीश ज्ञानी ने लिंग भेदभाव पर प्रहार करते हुए कहा कि “दोनों एक ही भईया अपनी जान समझो, चाहे लड़का हो या लड़की समान समझो”. वरिष्ठ रचनाकार नजीर मालिक ने अपनी रचना “दीपक के संकेत पे जलना सबके बस की बात नहीं, परवानों सा तिल-तिल मरना सबके बस की बात नहीं” से गोष्ठी को उचाई प्रदान की. युवा रचनाकार नियाज़ कपिल्वस्तुवी ने ज़िन्दगी को परिभाषित करते हुए कहा कि “ अब हंसी रह गयी न ख़ुशी रह गयी, ज़िन्दगी नाम की ज़िन्दगी रह गयी, ज़िन्दगी ने दिया हमको सबकुछ मगर फिर भी लगता है कोई कमी रह गयी ”.  डा.जावेद कमाल ने अपनी रचना के माध्यम से डा.मधुरिमा को श्रधांजलि अर्पित करते हुए कहा कि “तमाम लोग हैं बातें तमाम करते हैं, कहीं सुबह तो कहीं जाकर शाम करते हैं, अदब नवाज़ है तो आओ आज मिलकर हम यह एक शाम मधुरिमा के नाम करते हैं”.  वरिष्ठ रचनाकार मंज़र अब्बास रिज़वी ने लोगों के व्यवहार पर चोट करते हुए कहा कि “बेवफाई चिराग ने की है, शक के घेरे में रोशनी क्यों है, चूसती जोक नहीं जोक का खून, आदमी तुझमें ये कमी क्यों है”. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राकेश ऋषभ ने ज़िन्दगी के फलसफे को बयान करते हुए कहा कि “जब आग लगी हो सीने में तब ख़ाक मज़ा है जीने में, जब आग ही न हो सीने में तब ख़ाक मजा है जीने में!” कार्यक्रम के आखिरी में नवोन्मेष अध्यक्षविजित सिंह ने सबका आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इंसान के सद्कर्मों और रचनाधर्मिता के लिए उसे अनन्त काल तक याद किया जाता है, व्यक्ति मरता है विचार नहीं. कार्यक्रम के दौरान आर.के.सिंह, धीरज गुप्ता, सुनील कुमार, राजेन्द्र प्रसाद, विक्रांत मणि त्रिपाठी, विक्रमादित्य गुप्ता, सतीश आदि लोग उपस्थित रहे.

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