टी.बी. के लक्षण एवं उसके उपचार हेतु लोगों को जागरूक करने हेतु नवोन्मेष द्वारा नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया. पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत नवोन्मेष द्वारा ये नुक्कड़ नाटक कार्यक्रम जनपद सिद्धार्थनगर के अनेक ग्राम पंचायतों में आयोजित किया गया. उद्घाटन कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि जिला क्षय रोग अधिकारी डा.सतीश कुमार एवं विशिष्ठ अतिथि के रूप में प्रभारी चिकित्साधिकारी नौगढ़ डा.अभय प्रताप सिंह उपस्थित रहे. नवोन्मेष अध्यक्ष विजित सिंह के निर्देशन में आयोजित नुक्कड़ नाटक में मुख्य पात्र में धीरज गुप्ता, मुनीश ज्ञानी, नूर मोहम्मद, नवनीत सांवरियां, सुनील कुमार, अरुण कुमार, अमरेश पाण्डेय, अफरोज आदि रहे. नुक्कड़ नाटक के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया कि अगर किसी को दो सप्ताह या अधिक समय तक लगातार खांसी आ रही है, शाम के समय शरीर का तापमान बढ़ जाता है, खांसी के साथ रक्त रंजित बलगम आता है, वजन में कमी आती है या भूख नहीं लगती है तो वो टी.बी. का संभावित मरीज हो सकता है ऐसी स्तिथि में मरीज के बलगम की जांच बिना किसी विलम्ब के नजदीक के डी.एम.सी यानि मान्यता प्राप्त जांच केंद्र पे कराना चाहिए. नाटक के माध्यम से ये भी बताया गया कि व्यस्क में सबसे घातक टी.बी. घनात्मक बलगम वाली फेफड़े की टी.बी. होती है, एक टी.बी. मरीज से दुसरे में यह रोग थूक कणों (ड्रॉपलेट) द्वारा ट्रान्सफर होता है. ये भी बताया गया कि फेफड़े की टी.बी. की जांच सुनिश्चित करने की विधि बलगम की जांच है और टी.बी. पाए जाने पर मरीज को प्रत्यक्ष अवलोकन विधि द्वारा अल्पकालीन अवषधियों का सेवन करना चाहिए. उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डा.सतीश कुमार ने बताया कि कई बार मरीज को दवा खाने पे प्रारंभिक लाभ मिल जाता है इसका ये मतलब नहीं है कि दवा खाना बंद कर दिया जाए, पूरे एवं सही इलाज के लिए ज़रूरी है कि पूरे कोर्स की दवा खाई जाए. डा.अभय प्रताप सिंह ने अपने संबोधन के दौरान बताया कि टी.बी. की दवा खाने दौरान हमें मिर्च, मसाले वाले चीजों से परहेज करना चाहिए.